देश में जारी कोरोना कोहराम लगातार जारी है। वहीं इस कोहराम के बीच कई कंपनियां अपना मनमाना रवैया अपना रही है और अपने सहुलियत के हिसाब से फेरबदल कर अपने लोगों को लाभ पहुंचाने और कानून का उल्लंघन कर कई लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रही है, क्योंकि कंपनी के इस रवैये से एक तरफ जहां कर्मचारियों में रोष होगा । वहीं कई कर्मचारी भी बेरोजगार हो जाएंगे। कंपनी के इन्हीं गलत नीतियों के कारण भारतीय बीमा महासंघ ने इन कंपनियों का विरोध किया।
आपको बता दें कि भारतीय बीमा महासंघ ने GIPSA और PSU जेनरल इंश्योरेंस कम्पनियों के प्रबंधन से अधिकारियों के पद्दोन्नती नीति में हाल में किए गए परिवर्तनों का विरोध किया है। वहीं उन्होंने पदोन्नति नीति में मनमानी तरीके से किए गए संशोधन संविधान के अनुच्छेद 16 के उल्लंघन का भी आरोप लगाया है। बता दें कि इन संशोधनों में इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट की योग्यता के अंकों को बढ़ा दिया गया है और विश्वविद्यालयों की डिग्री के माध्यम से प्राप्त योग्यता पर अंकों को कम कर दिया है। भारतीय बीमा महासंघ ने इसका विरोध करते हुए अपने सुझाव प्रस्तुत किए हैं और शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।
गौरतलब है कि इन दिनों देश में कोरोना और लॉकडाउन के दौरान आर्थिक मंदी का माहौल है, जिसे पटरी पर लाने के लिए भारत सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। हालांकि कोरोना के कोहराम ने ना जानें कितने लोगों के घरों को उजाड़ दिया और कितने लोगों को बेरोजगार कर दिया। जिसे लेकर राज्य और केंद्र सरकार लगातार नीतियां बना रही है, लेकिन जब तक ये नीतियां क्रियान्वित होंगे तब तक ना जानें और कितनी कंपनियां बंद और लोग बेरोजगार हो जाएंगे। बहरहाल अब देखना यह है कि भारतीय बीमा संघ के विरोध का इंश्योरेंस कंपनियां पर क्या असर पड़ता है।